Sunday, July 13, 2025

उर्दू बह्र पर एक बातचीत : [क़िस्त 122] : 212---1212----1212---22 यह कौन सी बह्र है ?

 क़िस्त [122] : 212---1212----1212---22 यह कौन सी बह्र है ?


मेरे एक मित्र ने यह सवाल किया कि 212---1212--1212---22 क्या कोई बह्र हो सकती है

अगर हाँ तो यह कौन सी बह्र है।


कारण कि मेरे मित्र से एक मतला सरजद [ निसृत] हुआ । उन्होने उसकी तक़्तीअ’ भी की और वज़न भी निकाला। मतला -तक्तीअ’-वज़न तीनों सही था --मगर उन्हें यह वज़न किसी प्रचलित बहर का नहीं लगा या नहीं मिला -सो उन्होंने यह सवाल किया।

मित्र को वैसे उत्तर तो दे दिया । इस मंच के मेरे अन्य मित्र भी उस उत्तर से लाभान्वित [ मुस्तफ़ीद] हो सके मज़ीद [ अतिरिक्त] मालूमात हासिल कर सकें

यह लेख उसी संदर्भ में लिखा गया है। साथ ही उन मित्रों के लिए भी जो अरूज़ आशना है, अरूज़ से दिलचस्पी रखते हैं जो अरूज़-ओ-बह्र से ज़ौक़-ओ-शौक़ फ़र्माते है।


अरूज़ की किताबों में सभी मुमकिनात बह्र की विवेचना तो नहीं की जा सकती। अरूज़ बस प्रचलित बह्रों की विवेचना करती है । हाँ वह क़ायदे क़ानून नियम ज़रूर बताती है और आप चाहे तो उन्हीं उसूलों का उपयोग कर स्वादानुसार आप बह्र बना सकते है शर्त यह कि अरूज़ के क़ायदे क़ानून की ख़िलाफ़वर्ज़ी न हो । ्गोया अरूज़ आप को Ingradients बता देती है receipe

आप बना लें । हाँ अगर आप की receipe स्वादिष्ट हुई श्रोताओं को भा गई तो एक दिन प्रचलन में भी जाएगी। खैर।

अब मूल विषय 212---1212---1212---22--- पर आते है।


अच्छा यह बह्र तो आप जानते भी होंगे और पहचानते भी होंगे

-सदर----हस्व----हस्व-----अरूज./ज़र्ब

[A] 2212--- 2212-- -2212----2212

मुसतफ़इलुन--मुसतफ़इलुन--मुसतफ़इलुन--मुसतफ़इलुन


हाँ जी आप बिलकुल सही हैं । यह बह्र-ए-रजज़ मुसम्मन सालिम ही है\


अब इस पर कुछ ज़िहाफ़ लगाते है देखते हैं क्या होता है ?

सद्र 2212 + रफ़’अ = मरफ़ूअ’ 212 [ फ़ाइलुन]

2212 + खब्न = मख़्बून 1212 [ मफ़ा इलुन ]

2212 + हज़ज़ = अह्ज़ 22 [ फ़ेलुन ]

[ नोट : ख़याल रहे यहाँ -हज़ज़ -एक ज़िहाफ़ है जिसका मुज़ाहिफ़ नाम -अहज़--या कहीं कहीं इसे -महज़ूज़- भी कहते है ।

हज़ज़ --और -हज़ज - से confuse न होइएगा } हज़ज़ --एक ज़िहाफ़ का नाम है इसके दोनो -ज - पर नुक़्ता है जब कि -हज़ज --एक बह्र का नाम है

जिसके आख़िरी -ज - पर नुक़्ता नहीं है] ख़ैर


अब अगर यही स्ब ज़िहाफ़ क्रम से [A] पर लगाते जाएँ तो क्या बरामद होगा?


[B] 212---1212---1212--22 = और यही सवाल भी था मेरे मित्र का।


तो इस -B- बह्र का नाम क्या होगा ? बहुत आसान ।

बह्र-ए-रजज़ मुसम्मन मरफ़ूअ’ मख़्बून मख़्बून अहज़ /[महज़ूज़ ]


माना कि यह बहुत प्रचलित बह्र नहीं है मगर बह्र तो है जो अरूज़ के उसूलों के बिना ख़िलाफ़वर्जी किए हुए बनी है । आप इसमे शायरी करना चाहें तो कर सकते है कोई मनाही तो नहीं ।


[ नोट- : इस मंच के असातिज़ा से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि अगर कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही ज़रूर फ़रमाए जिससे यह हक़ीर खुद को दुरुस्त कर सके ।

सादर

-आनन्द पाठक - 880092 7181



-आनन्द.पाठक-

8800927181



Monday, June 16, 2025

उर्दू बह्र पर एक बातचीत :क़िस्त 121: यह 2121---2212---2121---2212 कौन सी बह्र है?

 

उर्दू बह्र पर एक बातचीत :क़िस्त  121: यह 2121---2212---2121---2212 कौन सी बह्र है?


किसी मंच पर मेरे एक शायर मित्र ने एक सवाल किया  -

2121---2212----2121---2212 क्या यह कोई बह्र है या हो सकती है ?

यह आलेख इसी संदर्भ में लिखा गया है और यह लेख उनके लिए लिखा गया है जो उर्दू बह्र से, अरूज़ से ज़ौक़-ओ-शौक़ फ़रमाते हैं।


वैसे तो मात्र वज़न विन्यास देख कर यह बह्र कौन सी है तुरन्त तो नहीं बतलाया सा सकता है जबतक कि वह कोई बहुत ही लोकप्रिय प्रचलित, मारूफ़ और मानूस बह्र न हो।

कारण कि बह्रों की संख्या[ सालिम, मुरक्क़ब, मज़ाहिफ़,  मुसद्दस मुसम्मन आदि सब मिला कर] 250--300-से ज़ियादा ही होगी और सबको याद रखना संभव भी नहीं और ज़रूरी भी नहीं। 

कारण कोई शायर इन तमाम बह्रों में शायरी करता भी नहीं -।-वह तो बस 15-20 अपनी पंसददीदा बह्रों में ही शायरी करता है। 

बह्र का प्रचलन में होना या न होना अलग बात है और बह्र का वज़ूद में होना अलग बात है ।अरूज़ की किसी क़िताब में इन तमाम बह्रों का उल्लेख करना उसकी तफ़सील करना मुमकिन भी नहीं और ज़रूरी भी नहीं। अरूज़ सिर्फ़ क़ाइदा कानून रूल्स बताती है ज़िहाफ़ात की बात करती है और वह सभी बह्रें मान्य हो सकती है जो अरूज़ की ख़िलाफ़वर्जी न करती हो। अगर कोई शायर [फ़नी तौर से ही सही] इन अप्रचलित बह्रों में या कम प्रचलित बह्रों में शायरी करना चाहे तो कर सकता है। मनाही नहीं। वह श्रोताओं में कितना स्वीकार्य होगा यह अलग बात है। ख़ैर।

  तो मेरे मित्र ने ऊपर वाली ्बह्र का कोई हिंट नहीं दिया , कोई Clue नहीं दिया कि यह बह्र  किस खानदान से belong करती है--तो मैने अपनी समझ से इस पर कुछ प्रकाश डालने की कोशिश की है । असातिज़ा और गुणीजन से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि  बताएँ कि मैं कहाँ तह सही हूँ या ग़लत हूँ।

अब मूल विषय पर आते है।

-a-    -b- 

  एक मुरक़्कब बह्र है --बह्र-ए-मुक़्तज़िब -जिसका बुनियादी अर्कान होता है- 2221--2212--[ मफ़ऊलातु--मुसतफ़इलुन]

और इसकी मुसम्मन शकल होगी--

-a--         -b---             -a---    -b--

[ क]     2221---     2212-       --2221---2212

          मफ़ऊलातु--मुसतफ़इलुन--मफ़ऊलातु--मुसतफ़इलुन


[ नोट-- आप को कुछ याद आ रहा है कि यह- 2221--रुक्न कौन सी है ? जी हाँ आप सही है यह एक सालिम रुक्न है जिसे -मफ़ऊलातु- कहते है -मगर इससे कोई सालिम बह्र नहीं बनती और यह सालिम रुक्न --मुरक़्कब बह्र में ही इस्तेमाल होती है जैसे यहाँ । और इसी रुक्न के नाम से इस बह्र का नाम रखा गया--बह्र-ए-मुक़्तज़िब--एक मुरक़्कब बह्र। ख़ैर।

अच्छा। एक ज़िहाफ़ होता है-तय्यी--यह एक आम ज़िहाफ़ है जो शे’र के किसी मुक़ाम पर लाया जा सकता है [ सदर पर--हस्व पर भी]। इसे - 2221- पर लगाते हैं देखते हैं क्या होता है:-

--a----                         -a'-

2221 + तय्यी  = मुत्तवी  2121

अगर इसे मुसम्मन वाली शकल में लगा दे तो ?

-a'-----b---------a' -----  b'

2121--2212---2121---2212 
 और यही सवाल भी था मित्रवर का। 

जी यह एक मान्य बह्र हो सकती है जो अरूज़ के क़ायदे से बनी है और कहीं कोई ख़िलाफ़वर्जी भी नहीं है। यह अलग बात है कि बह्र-ए-मुक्तज़िब में  अन्य लोकप्रिय प्रचलित मानूस बह्र वैसे ही मौज़ूद हैं।


अच्छा । तो इसका नाम?

बहुत आसान -- बह्र-ए-मुक्तज़िब मुसम्मन मुत्तवी सालिम मुत्तवी सालिम --

सालिम बोले तो? यहाँ --2212-- अपने सालिम शकल में प्रयोग हुआ है और जहाँ जहाँ हुआ है वहाँ वहाँ लिख दिया ।


[ नोट- : इस मंच के असातिज़ा से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि अगर कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही ज़रूर फ़रमाए जिससे यह हक़ीर खुद को दुरुस्त कर सके ।

सादर


-आनन्द.पाठक-

8800927181