उर्दू बह्र पर एक बातचीत :क़िस्त 121: यह 2121---2212---2121---2212 कौन सी बह्र है?
किसी मंच पर मेरे एक शायर मित्र ने एक सवाल किया -
2121---2212----2121---2212 क्या यह कोई बह्र है या हो सकती है ?
यह आलेख इसी संदर्भ में लिखा गया है और यह लेख उनके लिए लिखा गया है जो उर्दू बह्र से, अरूज़ से ज़ौक़-ओ-शौक़ फ़रमाते हैं।
वैसे तो मात्र वज़न विन्यास देख कर यह बह्र कौन सी है तुरन्त तो नहीं बतलाया सा सकता है जबतक कि वह कोई बहुत ही लोकप्रिय प्रचलित, मारूफ़ और मानूस बह्र न हो।
कारण कि बह्रों की संख्या[ सालिम, मुरक्क़ब, मज़ाहिफ़, मुसद्दस मुसम्मन आदि सब मिला कर] 250--300-से ज़ियादा ही होगी और सबको याद रखना संभव भी नहीं और ज़रूरी भी नहीं।
कारण कोई शायर इन तमाम बह्रों में शायरी करता भी नहीं -।-वह तो बस 15-20 अपनी पंसददीदा बह्रों में ही शायरी करता है।
बह्र का प्रचलन में होना या न होना अलग बात है और बह्र का वज़ूद में होना अलग बात है ।अरूज़ की किसी क़िताब में इन तमाम बह्रों का उल्लेख करना उसकी तफ़सील करना मुमकिन भी नहीं और ज़रूरी भी नहीं। अरूज़ सिर्फ़ क़ाइदा कानून रूल्स बताती है ज़िहाफ़ात की बात करती है और वह सभी बह्रें मान्य हो सकती है जो अरूज़ की ख़िलाफ़वर्जी न करती हो। अगर कोई शायर [फ़नी तौर से ही सही] इन अप्रचलित बह्रों में या कम प्रचलित बह्रों में शायरी करना चाहे तो कर सकता है। मनाही नहीं। वह श्रोताओं में कितना स्वीकार्य होगा यह अलग बात है। ख़ैर।
तो मेरे मित्र ने ऊपर वाली ्बह्र का कोई हिंट नहीं दिया , कोई Clue नहीं दिया कि यह बह्र किस खानदान से belong करती है--तो मैने अपनी समझ से इस पर कुछ प्रकाश डालने की कोशिश की है । असातिज़ा और गुणीजन से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि बताएँ कि मैं कहाँ तह सही हूँ या ग़लत हूँ।
अब मूल विषय पर आते है।
-a- -b-
एक मुरक़्कब बह्र है --बह्र-ए-मुक़्तज़िब -जिसका बुनियादी अर्कान होता है- 2221--2212--[ मफ़ऊलातु--मुसतफ़इलुन]
और इसकी मुसम्मन शकल होगी--
-a-- -b--- -a--- -b--
[ क] 2221--- 2212- --2221---2212
मफ़ऊलातु--मुसतफ़इलुन--मफ़ऊलातु--मुसतफ़इलुन
[ नोट-- आप को कुछ याद आ रहा है कि यह- 2221--रुक्न कौन सी है ? जी हाँ आप सही है यह एक सालिम रुक्न है जिसे -मफ़ऊलातु- कहते है -मगर इससे कोई सालिम बह्र नहीं बनती और यह सालिम रुक्न --मुरक़्कब बह्र में ही इस्तेमाल होती है जैसे यहाँ । और इसी रुक्न के नाम से इस बह्र का नाम रखा गया--बह्र-ए-मुक़्तज़िब--एक मुरक़्कब बह्र। ख़ैर।
अच्छा। एक ज़िहाफ़ होता है-तय्यी--यह एक आम ज़िहाफ़ है जो शे’र के किसी मुक़ाम पर लाया जा सकता है [ सदर पर--हस्व पर भी]। इसे - 2221- पर लगाते हैं देखते हैं क्या होता है:-
--a---- -a'-
2221 + तय्यी = मुत्तवी 2121
अगर इसे मुसम्मन वाली शकल में लगा दे तो ?
-a'-----b---------a' ----- b'
2121--2212---2121---2212
और यही सवाल भी था मित्रवर का।
जी यह एक मान्य बह्र हो सकती है जो अरूज़ के क़ायदे से बनी है और कहीं कोई ख़िलाफ़वर्जी भी नहीं है। यह अलग बात है कि बह्र-ए-मुक्तज़िब में अन्य लोकप्रिय प्रचलित मानूस बह्र वैसे ही मौज़ूद हैं।
अच्छा । तो इसका नाम?
बहुत आसान -- बह्र-ए-मुक्तज़िब मुसम्मन मुत्तवी सालिम मुत्तवी सालिम --
सालिम बोले तो? यहाँ --2212-- अपने सालिम शकल में प्रयोग हुआ है और जहाँ जहाँ हुआ है वहाँ वहाँ लिख दिया ।
[ नोट- : इस मंच के असातिज़ा से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि अगर कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही ज़रूर फ़रमाए जिससे यह हक़ीर खुद को दुरुस्त कर सके ।
सादर
-आनन्द.पाठक-
8800927181
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