Saturday, November 9, 2024

उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 108 :बह्र 21--121--121--12 पर एक चर्चा

 किस्त 108  :  बह्र 21---121---121--12 पर एक चर्चा 

क्रमांक 107 से आगे-----


पिछली क़िस्त में बह्र-ए-मुतक़ारिब से निकली एक मुज़ाहिफ़ बह्र

A =  21---121---121---122 पर चर्चा की थी और तख़्नीक़ के अमल से प्राप्त होने वाले अन्य औज़ान की भी चर्चा की थी जिसमे एक वज़न 

22---22---22---22 भी था और यह बह्र-ए-मीर नहीं है

साथ ही इसके 

A//A =21---121---121---122  // 21---121---121---122 और तख़्नीक़ के अमल से प्राप्त होने वाले अन्य औज़ान की भी चर्चा की थी

जिसमे एक वज़न 

22---22---22---22 // 22---22--22---22  भी था। और इनमें से कोई भी वज़न बह्र-ए-मीर नहीं है।

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  आज हम बह्र-ए-मुतक़ारिब से ही प्राप्त होने वाली दूसरी मुज़ाहिफ़ बह्र -B-

B  = 21---121---121---12 की चर्चा करेंगे । देखते हैं -यह बह्र कैसे बनती है ?


आप इस बह्र को 122---122---122---122 को अवश्य पहचानते होंगे।  हाँ वही बह्र-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम। आप सही हैं।

अब इसके अर्कान पर कुछ ज़िहाफ़ --सरम---क़ब्ज़---हज़्फ़ ---लगा कर देखते है, क्या होता है ।


122 + सरम = असरम   21 

122 + क़ब्ज़ = मक़्बूज़  121

122 + हज़्फ़ = महज़ूफ़ 12

 तो 122---122--122--122 की मुज़ाहिफ़ शकल हो जाएगी

यानी

B = 21----121----121---12 

[ बह्र-ए-मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ मक़्बूज़ महज़ूफ़ ]

और इस बह्र पर भी पहले की तरह तख़नीक़ का अमल हो सकता है और कई मुतबादिल औज़ान बरामद किए जा सकते हैं।[ आप चाहें तो खुद

कर के मुतमईन हो सकते हैं कि कितने ऐसे कितने मुतबादिल औज़ान बरामद हो सकते है।

जिसमे एक वज़न  22---22---22----2 का भी बरामद होगा । मगर यह बह्र-ए-मीर नहीं होगा।

अच्छा, अरूज़ के कायदे के मुताबिक इस बहर के भी मुज़ाइफ़ शकल [ दो गुनी शकल ] की जा सकती है । यानी

B //B = 21---121---121---12 // 21--121--121---12- और इस पर भी तख़्नीक़ का अमल किया जा सकता है और कई मुतबादिल औज़ान बरामद हो सकते है

जिसमें से एक वज़न 

22--22--22--2 // 22--22--22--2 भी होगा मगर वह भी बह्र-ए-मीर नहीं होगा।


ऐसी बह्रों में मिसरों को  Fexibility  तो बहुत मिलती है मगर एक Constraint भी होता है । इस Constraint  की चर्चा बह्र-ए-मीर की जब चर्चा करेंगे तो तब करेंगे।

ऐसी बहरो की Analysis मूल बह्र  -A-  और  -B- से करेंगे तो तक़्तीअ’ करने में /समझने में सुविधा होगी। 

जब आप 22--22--22--22 या 22--22--22--2 से करेंगे तो उलझन पैदा होगी और यह putting the Horse before the Cart वाली स्थिति होगी।

आप बह्र -A-  और बह्र  -B- याद कर रख लें -। बह्र-ए-मीर की चर्चा में इन दोनों बह्रों की ज़रूरत पड़ेगी जो मीर की बह्र समझने में आसानी पैदा करेगी ।


अगली क़िस्त में अब बह्र-ए-मीर की चर्चा करेंगे---


[नोट -आप लोगों से अनुरोध है कि अगर कहीं कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही  ज़रूर फ़र्माएँ   कि मैं आइन्दा ख़ुद को दुरुस्त कर सकूं~।

सादर


-आनन्द.पाठक-


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